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101+Hindi Short Stories in Hindi – नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ

101+ Hindi Short Stories in Hindi – नैतिक शिक्षाप्रद

Contents
101+ Hindi Short Stories in Hindi – नैतिक शिक्षाप्रद1. मुर्गा की अकल ठिकाने( Hindi short stories with moral for kids )2. शेर का आसन( Hindi short stories with moral for kids )3. रेलगाड़ी( Hindi short stories with moral for kids )4. शरारती चूहा( Hindi short stories with moral for kids )5. बिल्ली बच गई( Hindi short stories with moral for kids )6. रितेश के तीन खरगोश राजा( Hindi short stories with moral for kids )7. दोस्त का महत्व( Hindi short stories with moral for kids )8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral9. रानी की शक्ति10. मोती का मित्र11. बलवान कछुए की मूर्खता12. राजू की समझदारी – Laghu kahani14. कालिया को मिली सजा15. सच्ची मित्रता16. बिच्छू और संत17. महात्मा बना विषधर18. चिंटू पिंटू की शरारत19. साहस का परिचय20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए21. करुणा का प्रहारमोरल22. और बन गई क्रिकेट टीम23. स्वयं का नुकसान24. अपने गलती का पछतावा25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई26 कुम्हार का वात्सल्य रूप27. बड़े भैया का रुमाल

101+ Hindi Short Stories in Hindi – नैतिक शिक्षाप्रद

1. मुर्गा की अकल ठिकाने

( Hindi short stories with moral for kids )

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

2. शेर का आसन

( Hindi short stories with moral for kids )

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

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3. रेलगाड़ी

( Hindi short stories with moral for kids )

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

4. शरारती चूहा

( Hindi short stories with moral for kids )

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट-चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

5. बिल्ली बच गई

( Hindi short stories with moral for kids )

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

6. रितेश के तीन खरगोश राजा

( Hindi short stories with moral for kids )

रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

7. दोस्त का महत्व

( Hindi short stories with moral for kids )

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

9. रानी की शक्ति

रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।

रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए।  उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।

रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

फिर क्या था ?

सभी की पार्टी शुरू हो गई।

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

10. मोती का मित्र

मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।

वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

मोरल –

  • गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
  • निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।

11. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया।  कम से कम कवच से जान तो बचती है।मोरल –प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

12. राजू की समझदारी – Laghu kahani

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

14. कालिया को मिली सजा

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

मोरल –

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

15. सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।

वह बेहोश की हालत में हो गया।

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।

सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

16. बिच्छू और संत

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ।

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

17. महात्मा बना विषधर

गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

18. चिंटू पिंटू की शरारत

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे, दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

19. साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है

20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

मोरल –

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

21. करुणा का प्रहार

अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।

दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।

अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।

अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।

एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।

उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।

सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था।  मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया।  वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।

अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी।  क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।

मोरल

  • मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
  • बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।

22. और बन गई क्रिकेट टीम

राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।

कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी।

वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।

उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।

फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।

इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।

23. स्वयं का नुकसान

शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।

दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।

इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।

अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।

एक दिन की बात है, अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।

अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।

चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।

ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।

निष्कर्ष – क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।

24. अपने गलती का पछतावा

गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।

सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।

अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।

कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा , क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी। गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता। बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती। गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया , किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।

एक  दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।

अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।

बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।

किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी  , बुझाओ …….बुझाओ

इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।

गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।

25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई

दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।

एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।

दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….

जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।

पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।

मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।

मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।

दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।

उसके और दोस्त थे ,

वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।

बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।

घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।

संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता है।

26 कुम्हार का वात्सल्य रूप

आज लकड़ी काटने के लिए मदन घूमता रहा, किंतु उसे कोई सूखा पेड़ नहीं मिला। वह प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ था कि वह हरे-भरे वृक्षों को अपने कुल्हाड़ी के चोट से नहीं काटता। पेड़-पौधों को वह बेटे के समान मानता था और बेटे की हत्या मानव कभी कर ही नहीं सकता।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।

प्रकृति सदैव मानव की रक्षा करती है, मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग होती है और मनुष्य को प्रकृति पुत्र के समान पालन करती है।

मदन की ऐसी हालत देख प्रकृति में भी उदासी का भाव था। तभी अचानक एक अनोखी घटना घटती है, पेड़ों से शीतल हवा बहने लगती है।

मदन कि अचानक नींद खुलती है तो वह अपने नजदीक एक कपड़े की पोटली पाता है। यह पोटली पेड़ों से चलने वाली हवाओं के साथ मदन के पास आया था।

इस पोटली का रहस्य यह था – कुछ दिन पूर्व एक भले आदमी को लूट कर जंगली डाकू भाग रहे थे, तभी अचानक उनका पैर फिसला और वह पहाड़ों की दुर्गम खाई में जा गिरे जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह पोटली गिरते समय डाकुओं के हाथ से छिटक कर पेड़ पर टंग गई थी। आज आवश्यकता की घड़ी में मदन को उन पैसों से सहायता हो सकी।

मोरल – जब आप किसी की सहायता करते हैं निर्दोष लोगों को परेशान नहीं करते तो प्रकृति भी आपकी सहायता करती है। जब आप प्रकृति का नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति भी आप को नुकसान पहुंचाती है, यह नुकसान दीर्घकालिक होता है।

27. बड़े भैया का रुमाल

राजू तीसरी कक्षा में पढ़ता है , उसका बड़ा भाई कार्तिक भी उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ता है। दोनों भाई एक साथ विद्यालय जाते-आते थे।  रास्ते में दोनों खूब मस्तियां किया करते थे। कार्तिक के पास एक रुमाल था , जिसे वह हमेशा डिटॉल से धोकर साफ-सुथरा रखता था। राजू अपने भैया को हमेशा देखता वह अपने पास सोचता भैया रूमाल को रखते है?

थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।

एक दिन की बात है राजू झूला झूल रहा था तभी उसके हाथ से झूला छूट गया और वह जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही राजू के घुटने में चोट आ गई जिसके कारण उसके घुटने से खून बहने लगा। कार्तिक ने अपने भाई को देखा तो वह जल्दी से दौड़ता हुआ आया और अपने जेब से रुमाल निकाल कर घाव पर बांध दिया। जिसके कारण खून बहना बंद हो गया। कार्तिक तुरंत अपने भाई को हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर राजू को बढ़िया कर दिया।

राजू ने देखा भैया जिस रुमाल को बड़े प्यार से साफ-सुथरा करके अपने पास हमेशा रखते थे। जिससे खूब प्यार करते थे , वह अब गंदी हो चुकी थी। बड़े भाई के प्यार के सामने वह रुमाल अधिक प्यारा नहीं था।